निर्माणा। के पावन युग म। निर्माणा। के पावन युग म। हम चरित्र निर्माण न भूल। । स्वार्थ साधना की आंधी म। वसुधा का कल्याण न भूल। ॥ धृ. ॥ माना अगम अगाध सिंधु है संघर्षों का पार नहीं है किन्तु डूबना मझधारा। म। साहस को स्विकार नही है जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसन्धान न