अब भविष्य में लोकतांत्रिक भारत का कोई प्रधानमंत्री न तिलक लगाने से हिचकेगा, न गङ्गा स्नान करने से। अब न कोई महादेव मंदिर में स्वयं मुख्य यजमान बन कर पूजा करने से डरेगा, न एक सामान्य हिन्दू वृद्ध की तरह मन्दिर मन्दिर घूमने से… भारत की राजनीति में ‘वोट कटने का भय’ बहुत प्रभावी था।



