शुद्ध सात्विक प्रे अपने कार्य का आधार है शुद्ध सात्विक प्रे अपने कार्य का आधार है ॥धृ॥ प्रे जो केवल समर्पण भाव को ही जानता है और उसमे ही स्वयम की धन्यता बस मानता है दिव्य ऐसे प्रे मे ईेशर स्वयम साकार है ॥१॥ विेश जननी ने किया वात्सल्य से पालन हमारा है कृपा इसकी